الترجمة الهندية
ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ قَدْ أَفْلَحَ الْمُؤْمِنُونَ﴾
सफल हो गये ईमान वाले।
﴿الَّذِينَ هُمْ فِي صَلَاتِهِمْ خَاشِعُونَ﴾
जो अपनी नमाज़ों में विनीत रहने वाले हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ عَنِ اللَّغْوِ مُعْرِضُونَ﴾
और जो व्यर्थ[1] से विमुख रहने वाले हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ لِلزَّكَاةِ فَاعِلُونَ﴾
तथा जो ज़कात देने वाले हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ لِفُرُوجِهِمْ حَافِظُونَ﴾
और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करने वाले हैं।
﴿إِلَّا عَلَىٰ أَزْوَاجِهِمْ أَوْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُمْ فَإِنَّهُمْ غَيْرُ مَلُومِينَ﴾
परन्तु अपनी पत्नियों तथा अपने स्वामित्व में आयी दासियों से, तो वही निन्दित नहीं हैं।
﴿فَمَنِ ابْتَغَىٰ وَرَاءَ ذَٰلِكَ فَأُولَٰئِكَ هُمُ الْعَادُونَ﴾
फिर जो इसके अतिरिक्त चाहें, तो वही उल्लंघनकारी हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ لِأَمَانَاتِهِمْ وَعَهْدِهِمْ رَاعُونَ﴾
और जो अपनी धरोहरों तथा वचन का पालन करने वाले हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ عَلَىٰ صَلَوَاتِهِمْ يُحَافِظُونَ﴾
तथा जो अपनी नमाज़ों की रक्षा करने वाले हैं।
﴿أُولَٰئِكَ هُمُ الْوَارِثُونَ﴾
यही उत्तराधिकारी हैं।
﴿الَّذِينَ يَرِثُونَ الْفِرْدَوْسَ هُمْ فِيهَا خَالِدُونَ﴾
जो उत्तराधिकारी होंगे फ़िर्दौस[1] के, जिसमें वे सदावासी होंगे।
﴿وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ مِنْ سُلَالَةٍ مِنْ طِينٍ﴾
और हमने उत्पन्न किया है मनुष्य को मिट्टी के सार[1] से।
﴿ثُمَّ جَعَلْنَاهُ نُطْفَةً فِي قَرَارٍ مَكِينٍ﴾
फिर हमने उसे वीर्य बनाकर रख दिया एक सुरक्षित स्थान[1] में।
﴿ثُمَّ خَلَقْنَا النُّطْفَةَ عَلَقَةً فَخَلَقْنَا الْعَلَقَةَ مُضْغَةً فَخَلَقْنَا الْمُضْغَةَ عِظَامًا فَكَسَوْنَا الْعِظَامَ لَحْمًا ثُمَّ أَنْشَأْنَاهُ خَلْقًا آخَرَ ۚ فَتَبَارَكَ اللَّهُ أَحْسَنُ الْخَالِقِينَ﴾
फिर बदल दिया वीर्य को जमे हुए रक्त में, फिर हमने उसे मांस का लोथड़ा बना दिया, फिर हमने लोथड़े में हड्डियाँ बनायीं, फिर हमने पहना दिया हड्डियों को मांस, फिर उसे एक अन्य रूप में उत्पन्न कर दिया। तो शुभ है अल्लाह, जो सबसे अच्छी उत्पत्ति करने वाला है।
﴿ثُمَّ إِنَّكُمْ بَعْدَ ذَٰلِكَ لَمَيِّتُونَ﴾
फिर तुमसब इसके पश्चात् अवश्य मरने वाले हो।
﴿ثُمَّ إِنَّكُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ تُبْعَثُونَ﴾
फिर निश्चय तुमसब (प्रलय) के दिन जीवित किये जाओगे।
﴿وَلَقَدْ خَلَقْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعَ طَرَائِقَ وَمَا كُنَّا عَنِ الْخَلْقِ غَافِلِينَ﴾
और हमने बना दिये तुम्हारे ऊपर सात आकाश और हम उत्पत्ति से अचेत नहीं[1] हैं।
﴿وَأَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَاءِ مَاءً بِقَدَرٍ فَأَسْكَنَّاهُ فِي الْأَرْضِ ۖ وَإِنَّا عَلَىٰ ذَهَابٍ بِهِ لَقَادِرُونَ﴾
और हमने आकाश से उचित मात्रा में पानी बरसाया और उसे धरती में रोक दिया तथा हम उसे विलुप्त कर देने पर निश्चय सामर्थ्यवान हैं।
﴿فَأَنْشَأْنَا لَكُمْ بِهِ جَنَّاتٍ مِنْ نَخِيلٍ وَأَعْنَابٍ لَكُمْ فِيهَا فَوَاكِهُ كَثِيرَةٌ وَمِنْهَا تَأْكُلُونَ﴾
फिर हमने उपजा दिये तुम्हारे लिए उस (पानी) के द्वारा खजूरों तथा अंगूरों के बाग़, तुम्हारे लिए उसमें बहुत-से फल हैं और उसीमें से तुम खाते हो।
﴿وَشَجَرَةً تَخْرُجُ مِنْ طُورِ سَيْنَاءَ تَنْبُتُ بِالدُّهْنِ وَصِبْغٍ لِلْآكِلِينَ﴾
तथा वृक्ष जो निकलता है सैना पर्वत से, जो तेल लिए उगता है तथा सालन है खाने वालों के लिए।
﴿وَإِنَّ لَكُمْ فِي الْأَنْعَامِ لَعِبْرَةً ۖ نُسْقِيكُمْ مِمَّا فِي بُطُونِهَا وَلَكُمْ فِيهَا مَنَافِعُ كَثِيرَةٌ وَمِنْهَا تَأْكُلُونَ﴾
और वास्तव में, तुम्हारे लिए पशुओं में एक शिक्षा है, हम तुम्हें पिलाते हैं, उसमें से, जो उनके पेटों में[1] है तथा तुम्हारे लिए उनमें अन्य बहुत-से लाभ हैं और उनमें से कुछ को तुम खाते हो।
﴿وَعَلَيْهَا وَعَلَى الْفُلْكِ تُحْمَلُونَ﴾
तथा उनपर और नावों पर तुम सवार किये जाते हो।
﴿وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِ فَقَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُوا اللَّهَ مَا لَكُمْ مِنْ إِلَٰهٍ غَيْرُهُ ۖ أَفَلَا تَتَّقُونَ﴾
तथा हमने भेजा नूह़[1] को उसकी जाति की ओर, उसने कहाः हे मेरी जाति को लोगो! इबादत (वंदना) अल्लाह की करो, तुम्हारा कोई पूज्य नहीं है उसके सिवा, तो क्या तुम डरते नहीं हो?
﴿فَقَالَ الْمَلَأُ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ قَوْمِهِ مَا هَٰذَا إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُكُمْ يُرِيدُ أَنْ يَتَفَضَّلَ عَلَيْكُمْ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ لَأَنْزَلَ مَلَائِكَةً مَا سَمِعْنَا بِهَٰذَا فِي آبَائِنَا الْأَوَّلِينَ﴾
तो उन प्रमुखों ने कहा, जो काफ़िर हो गये उसकी जाति में से, ये तो एक मनुष्य है, तुम्हारे जैसा, ये तुमपर प्रधानता चाहता है और यदि अल्लाह चाहता, तो किसी फ़रिश्ते को उतारता, हमने तो इसे[1] सुना ही नहीं अपने पूर्वजों में।
﴿إِنْ هُوَ إِلَّا رَجُلٌ بِهِ جِنَّةٌ فَتَرَبَّصُوا بِهِ حَتَّىٰ حِينٍ﴾
ये बस एक ऐसा पुरुष है, जो पागल हो गया है, तो तुम उसकी प्रतीक्षा करो कुछ समय तक।
﴿قَالَ رَبِّ انْصُرْنِي بِمَا كَذَّبُونِ﴾
नूह़ ने कहाः हे मेरे पालनहार! मेरी सहायता कर, उनके मुझे झुठलाने पर।
﴿فَأَوْحَيْنَا إِلَيْهِ أَنِ اصْنَعِ الْفُلْكَ بِأَعْيُنِنَا وَوَحْيِنَا فَإِذَا جَاءَ أَمْرُنَا وَفَارَ التَّنُّورُ ۙ فَاسْلُكْ فِيهَا مِنْ كُلٍّ زَوْجَيْنِ اثْنَيْنِ وَأَهْلَكَ إِلَّا مَنْ سَبَقَ عَلَيْهِ الْقَوْلُ مِنْهُمْ ۖ وَلَا تُخَاطِبْنِي فِي الَّذِينَ ظَلَمُوا ۖ إِنَّهُمْ مُغْرَقُونَ﴾
तो हमने उसकी ओर वह़्यी की कि नाव बना हमारी रक्षा में हमारी वह्यी के अनुसार और जब हमारा आदेश आ जाये तथा तन्नूर उबल पड़े, तो रख ले प्रत्येक जीव के एक-एक जोड़े तथा अपने परिवार को, उसके सिवा जिसपर पहले निर्णय हो चुका है उनमें से, और मुझे संबोधित न करना उनके विषय में जिन्होंने अत्याचार किये हैं, निश्चय वे डुबो दिये जायेंगे।
﴿فَإِذَا اسْتَوَيْتَ أَنْتَ وَمَنْ مَعَكَ عَلَى الْفُلْكِ فَقُلِ الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي نَجَّانَا مِنَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ﴾
और जब स्थिर हो जाये तू और जो तेरे साथी हैं नाव पर, तो कहः सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने हमें मुक्त किया अत्याचारी लोगों से।
﴿وَقُلْ رَبِّ أَنْزِلْنِي مُنْزَلًا مُبَارَكًا وَأَنْتَ خَيْرُ الْمُنْزِلِينَ﴾
तथा कहः हे मेरे पालनहार! मुझे शुभ स्थान में उतार और तू उत्तम स्थान देने वाला है।
﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ وَإِنْ كُنَّا لَمُبْتَلِينَ﴾
निश्चय इसमें कई निशानियाँ हैं तथा निःसंदेह हम परीक्ष लेने[1] वाले हैं।
﴿ثُمَّ أَنْشَأْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ قَرْنًا آخَرِينَ﴾
फिर हमने पैदा किया उनके पश्चात् दूसरे समुदाय को।
﴿فَأَرْسَلْنَا فِيهِمْ رَسُولًا مِنْهُمْ أَنِ اعْبُدُوا اللَّهَ مَا لَكُمْ مِنْ إِلَٰهٍ غَيْرُهُ ۖ أَفَلَا تَتَّقُونَ﴾
फिर हमने भेजा उनमें रसूल उन्हीं में से कि तुम इबादत (वंदना) करो अल्लाह की, तुम्हारा कोई ( सच्चा) पूज्य नहीं है उसके सिवा, तो क्या तुम डरते नहीं हो?
﴿وَقَالَ الْمَلَأُ مِنْ قَوْمِهِ الَّذِينَ كَفَرُوا وَكَذَّبُوا بِلِقَاءِ الْآخِرَةِ وَأَتْرَفْنَاهُمْ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا مَا هَٰذَا إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُكُمْ يَأْكُلُ مِمَّا تَأْكُلُونَ مِنْهُ وَيَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُونَ﴾
और उसकी जाति के प्रमुखों ने कहा, जो काफ़िर हो गये तथा आख़िरत (परलोक) का सामना करने को झुठला दिया तथा हमने उन्हें सम्पन्न किया था, सांसारिक जीवन में: ये तो बस एक मनुष्य है तुम्हारे जैसा, खाता है, जो तुम खाते हो और पीता है, जो तुम पीते हो।
﴿وَلَئِنْ أَطَعْتُمْ بَشَرًا مِثْلَكُمْ إِنَّكُمْ إِذًا لَخَاسِرُونَ﴾
और यदि तुमने मान लिया अपने जैसे एक मनुज को, तो निश्चय तुम क्षतिग्रस्त हो।
﴿أَيَعِدُكُمْ أَنَّكُمْ إِذَا مِتُّمْ وَكُنْتُمْ تُرَابًا وَعِظَامًا أَنَّكُمْ مُخْرَجُونَ﴾
क्या वह तुम्हें वचन देता है कि जब तुम मर जाओगे और धूल तथा हड्डियाँ हो जाओगे, तो तुम, फिर जीवित निकाले जाओगे?
﴿۞ هَيْهَاتَ هَيْهَاتَ لِمَا تُوعَدُونَ﴾
बहुत दूर की बात है, जिसका तुम्हें वचन दिया जा रहा है।
﴿إِنْ هِيَ إِلَّا حَيَاتُنَا الدُّنْيَا نَمُوتُ وَنَحْيَا وَمَا نَحْنُ بِمَبْعُوثِينَ﴾
जीवन तो बस सांसारिक जीवन है, हम मरते-जीते हैं और हम फिर जीवित नहीं किये जायेंगे।
﴿إِنْ هُوَ إِلَّا رَجُلٌ افْتَرَىٰ عَلَى اللَّهِ كَذِبًا وَمَا نَحْنُ لَهُ بِمُؤْمِنِينَ﴾
ये तो बस एक व्यक्ति है, जिसने अल्लाह पर एक झूठ घड़ लिया है और हम उसका विश्वास करने वाले नहीं हैं।
﴿قَالَ رَبِّ انْصُرْنِي بِمَا كَذَّبُونِ﴾
नबी ने प्रार्थना कीः मेरे पालनहार! मेरी सहायता कर, उनके झुठलाने पर मुझे।
﴿قَالَ عَمَّا قَلِيلٍ لَيُصْبِحُنَّ نَادِمِينَ﴾
(अल्लाह ने) कहाः शीघ्र ही वे (अपने किये पर) पछतायेंगे।
﴿فَأَخَذَتْهُمُ الصَّيْحَةُ بِالْحَقِّ فَجَعَلْنَاهُمْ غُثَاءً ۚ فَبُعْدًا لِلْقَوْمِ الظَّالِمِينَ﴾
अन्ततः पकड़ लिया उन्हें कोलाहल ने सत्यानुसार और हमने उन्हें कचरा बना दिया, तो दूरी हो अत्याचारियों के लिए।
﴿ثُمَّ أَنْشَأْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ قُرُونًا آخَرِينَ﴾
फिर हमने पैदा किया उनके पश्चात् दूसरे युग के लोगों को।
﴿مَا تَسْبِقُ مِنْ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسْتَأْخِرُونَ﴾
नहीं आगे होती है, कोई जाति अपने समय से और न पीछे[1]।
﴿ثُمَّ أَرْسَلْنَا رُسُلَنَا تَتْرَىٰ ۖ كُلَّ مَا جَاءَ أُمَّةً رَسُولُهَا كَذَّبُوهُ ۚ فَأَتْبَعْنَا بَعْضَهُمْ بَعْضًا وَجَعَلْنَاهُمْ أَحَادِيثَ ۚ فَبُعْدًا لِقَوْمٍ لَا يُؤْمِنُونَ﴾
फिर, हमने भेजा अपने रसूलों को निरन्तर, जब-जबकिसी समुदाय के पास उसका रसूल आया, उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने पीछे लगा[1] दिया उनके, एक को दूसरे के और उन्हें कहानी बना दिया। तो दूरी है उनके लिए, जो ईमान नहीं लाते।
﴿ثُمَّ أَرْسَلْنَا مُوسَىٰ وَأَخَاهُ هَارُونَ بِآيَاتِنَا وَسُلْطَانٍ مُبِينٍ﴾
फिर हमने भेजा मूसा तथा उसके भाई हारून को अपनी निशानियों तथा खुले तर्क के साथ।
﴿إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا عَالِينَ﴾
फ़िरऔन और उसके प्रमुखों की ओर, तो उन्होंने गर्व किया तथा वे थे ही अभिमानी लोग।
﴿فَقَالُوا أَنُؤْمِنُ لِبَشَرَيْنِ مِثْلِنَا وَقَوْمُهُمَا لَنَا عَابِدُونَ﴾
उन्होंने कहाः क्या हम ईमान लायें अपने जैसे दो व्यक्तियों पर, जबकि उन दोनों की जाति हमारे अधीन है?
﴿فَكَذَّبُوهُمَا فَكَانُوا مِنَ الْمُهْلَكِينَ﴾
तो उन्होंने दोनों को झुठला दिय, तथा हो गये विनाशों में।
﴿وَلَقَدْ آتَيْنَا مُوسَى الْكِتَابَ لَعَلَّهُمْ يَهْتَدُونَ﴾
और हमने प्रदान की मूसा को पुस्तक[1], ताकि वे मार्गदर्शन पा जायें।
﴿وَجَعَلْنَا ابْنَ مَرْيَمَ وَأُمَّهُ آيَةً وَآوَيْنَاهُمَا إِلَىٰ رَبْوَةٍ ذَاتِ قَرَارٍ وَمَعِينٍ﴾
और हमने बना दिया मर्यम के पुत्र तथा उसकी माँ को एक निशानी तथा दोनों को शरण दी एक उच्च बसने योग्य तथा प्रवाहित स्रोत के स्थान की ओर[1]।
﴿يَا أَيُّهَا الرُّسُلُ كُلُوا مِنَ الطَّيِّبَاتِ وَاعْمَلُوا صَالِحًا ۖ إِنِّي بِمَا تَعْمَلُونَ عَلِيمٌ﴾
हे रसूलो! खाओ स्वच्छ[1] चीज़ों में से तथा अच्छे कर्म करो, वास्तव में, मैं उससे, जो तुम कर रहे हो, भली-भाँति अवगत हूँ।
﴿وَإِنَّ هَٰذِهِ أُمَّتُكُمْ أُمَّةً وَاحِدَةً وَأَنَا رَبُّكُمْ فَاتَّقُونِ﴾
और वास्तव में, तुम्हारा धर्म एक ही धर्म है और मैं ही तुम सबका पालनहार हूँ, अतः मुझी से डरो।
﴿فَتَقَطَّعُوا أَمْرَهُمْ بَيْنَهُمْ زُبُرًا ۖ كُلُّ حِزْبٍ بِمَا لَدَيْهِمْ فَرِحُونَ﴾
तो उन्होंने खण्ड कर लिया, अपने धर्म का, आपस में कई खण्ड, प्रत्येक सम्प्रदाय उसीमें जो उनके पास[1] है, मगन है।
﴿فَذَرْهُمْ فِي غَمْرَتِهِمْ حَتَّىٰ حِينٍ﴾
अतः (हे नबी!) आप उन्हें छोड़ दें, उनकी अचेतना में कुछ समय तक।
﴿أَيَحْسَبُونَ أَنَّمَا نُمِدُّهُمْ بِهِ مِنْ مَالٍ وَبَنِينَ﴾
क्या वे समझते हैं कि हम, जो सहायता कर रहे हैं उनकी धन तथा संतान से।
﴿نُسَارِعُ لَهُمْ فِي الْخَيْرَاتِ ۚ بَلْ لَا يَشْعُرُونَ﴾
शीघ्रता कर रहे हैं उनके लिए भलाईयों में? बल्कि वे समझते नहीं हैं[1]।
﴿إِنَّ الَّذِينَ هُمْ مِنْ خَشْيَةِ رَبِّهِمْ مُشْفِقُونَ﴾
वास्तव में, जो अपने पालनहार के भय से डरने वाले हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ بِآيَاتِ رَبِّهِمْ يُؤْمِنُونَ﴾
और जो अपने पालनहार की आयतों पर ईमान रखते हैं।
﴿وَالَّذِينَ هُمْ بِرَبِّهِمْ لَا يُشْرِكُونَ﴾
और जो अपने पालनहार का साझी नहीं बनाते हैं।
﴿وَالَّذِينَ يُؤْتُونَ مَا آتَوْا وَقُلُوبُهُمْ وَجِلَةٌ أَنَّهُمْ إِلَىٰ رَبِّهِمْ رَاجِعُونَ﴾
और जो करते हैं, जो कुछ भी करें और उनके दिल काँपते रहते हैं कि वे अपने पालनहार की ओर फिरकर जाने वाले हैं।
﴿أُولَٰئِكَ يُسَارِعُونَ فِي الْخَيْرَاتِ وَهُمْ لَهَا سَابِقُونَ﴾
वही शीघ्रता कर रहे हैं भलाईयों में तथा वही उनके लिए अग्रसर हैं।
﴿وَلَا نُكَلِّفُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۖ وَلَدَيْنَا كِتَابٌ يَنْطِقُ بِالْحَقِّ ۚ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ﴾
और हम बोझ नहीं रखते किसी प्राणी पर, परन्तु उसके सामर्थ्य के अनुसार तथा हमारे पास एक पुस्तक है, जो सत्य बोलती है और उनपर अत्याचार नहीं किया[1] जायेगा।
﴿بَلْ قُلُوبُهُمْ فِي غَمْرَةٍ مِنْ هَٰذَا وَلَهُمْ أَعْمَالٌ مِنْ دُونِ ذَٰلِكَ هُمْ لَهَا عَامِلُونَ﴾
बल्कि उनके दिल अचेत हैं इससे तथा उनके बहुत-से कर्म हैं इसके सिवा, जिन्हें वे करने वाले हैं।
﴿حَتَّىٰ إِذَا أَخَذْنَا مُتْرَفِيهِمْ بِالْعَذَابِ إِذَا هُمْ يَجْأَرُونَ﴾
यहाँतक कि जब हम पकड़ लेंगे उनके सुखियों को यातना में, तो वे विलाप करने लगेंगे।
﴿لَا تَجْأَرُوا الْيَوْمَ ۖ إِنَّكُمْ مِنَّا لَا تُنْصَرُونَ﴾
आज विलाप न करो, निःसंदेह तुम हमारी ओर से सहायता नहीं दिये जाओगे।
﴿قَدْ كَانَتْ آيَاتِي تُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ فَكُنْتُمْ عَلَىٰ أَعْقَابِكُمْ تَنْكِصُونَ﴾
मेरी आयतें तुम्हें सुनायी जाती रहीं, तो तुम एड़ियों के बल फिरते रहे।
﴿مُسْتَكْبِرِينَ بِهِ سَامِرًا تَهْجُرُونَ﴾
अभिमान करते हुए, उसे कथा बनाकर बकवास करते रहे।
﴿أَفَلَمْ يَدَّبَّرُوا الْقَوْلَ أَمْ جَاءَهُمْ مَا لَمْ يَأْتِ آبَاءَهُمُ الْأَوَّلِينَ﴾
क्या उन्होंने इस कथन (क़ुर्आन) पर विचार नहीं किया अथवा इनके पास वह[1] आ गया, जो उनके पूर्वजों के पास नहीं आया?
﴿أَمْ لَمْ يَعْرِفُوا رَسُولَهُمْ فَهُمْ لَهُ مُنْكِرُونَ﴾
अथवा वह अपने रसूल से परिचित नहीं हुए, इसलिए वे उसका इन्कार कर रहे[1] हैं?
﴿أَمْ يَقُولُونَ بِهِ جِنَّةٌ ۚ بَلْ جَاءَهُمْ بِالْحَقِّ وَأَكْثَرُهُمْ لِلْحَقِّ كَارِهُونَ﴾
अथवा वे कहते हैं कि वह पागल है? बल्कि वह तो उनके पास सत्य लाये हैं और उनमें से अधिक्तर को सत्य अप्रिय है।
﴿وَلَوِ اتَّبَعَ الْحَقُّ أَهْوَاءَهُمْ لَفَسَدَتِ السَّمَاوَاتُ وَالْأَرْضُ وَمَنْ فِيهِنَّ ۚ بَلْ أَتَيْنَاهُمْ بِذِكْرِهِمْ فَهُمْ عَنْ ذِكْرِهِمْ مُعْرِضُونَ﴾
और यदि अनुसरण करने लगे सत्य उनकी मनमानी का, तो अस्त-व्यस्त हो जाये आकाश तथा धरती और जो उनके बीच है, बल्कि हमने दे दी है उन्हें उनकी शिक्षा, फिर (भी) वे अपनी शिक्षा से विमुख हो रहे हैं।
﴿أَمْ تَسْأَلُهُمْ خَرْجًا فَخَرَاجُ رَبِّكَ خَيْرٌ ۖ وَهُوَ خَيْرُ الرَّازِقِينَ﴾
(हे नबी!) क्या आप उनसे कुछ धन माँग रहे हैं? आपके लिए तो आपके पालनहार का दिया हुआ ही उत्तम है और वह सर्वोत्तम जीविका देने वाला है।
﴿وَإِنَّكَ لَتَدْعُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ﴾
निश्चय आप तो उन्हें सुपथ की ओर बुला रहे हैं।
﴿وَإِنَّ الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِالْآخِرَةِ عَنِ الصِّرَاطِ لَنَاكِبُونَ﴾
और जो आख़िरत (परलोक) पर ईमान नहीं रखते, वे सुपथ से कतराने वाले हैं।
﴿۞ وَلَوْ رَحِمْنَاهُمْ وَكَشَفْنَا مَا بِهِمْ مِنْ ضُرٍّ لَلَجُّوا فِي طُغْيَانِهِمْ يَعْمَهُونَ﴾
और यदि हम उनपर दया करें और दूर करें, जो दुःख उनके साथ है,[1] तो वे अपने कुकर्मों में और अधिक बहकते जायेंगे।
﴿وَلَقَدْ أَخَذْنَاهُمْ بِالْعَذَابِ فَمَا اسْتَكَانُوا لِرَبِّهِمْ وَمَا يَتَضَرَّعُونَ﴾
और हमने उन्हें यातना में ग्रस्त (भी) किया, तो अपने पालनहार के समक्ष नहीं झुके और न विनय करते हैं।
﴿حَتَّىٰ إِذَا فَتَحْنَا عَلَيْهِمْ بَابًا ذَا عَذَابٍ شَدِيدٍ إِذَا هُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ﴾
यहाँतक कि जब हम उनपर खोल देंगे कड़ी यातना के[1] द्वार, तो सहसा वे उस समय निराश हो जायेंगे[2]।
﴿وَهُوَ الَّذِي أَنْشَأَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْأَبْصَارَ وَالْأَفْئِدَةَ ۚ قَلِيلًا مَا تَشْكُرُونَ﴾
वही है, जिसने बनाये हैं तुम्हारे लिए कान तथा आँखें और दिल[1], (फिर भी) तुम बहुत कम कृतज्ञ होते हो।
﴿وَهُوَ الَّذِي ذَرَأَكُمْ فِي الْأَرْضِ وَإِلَيْهِ تُحْشَرُونَ﴾
और उसीने तुम्हें धरती में फैलाया है और उसी की ओर एकत्र किये जाओगे।
﴿وَهُوَ الَّذِي يُحْيِي وَيُمِيتُ وَلَهُ اخْتِلَافُ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ﴾
तथा वही है, जो जीवन देता और मारता है और उसी के अधिकार में है रात्रि तथा दिन का फेर-बदल, तो क्या तुम समझ नहीं रखते?
﴿بَلْ قَالُوا مِثْلَ مَا قَالَ الْأَوَّلُونَ﴾
बल्कि उन्होंने वही बात कही, जो अगलों ने कही।
﴿قَالُوا أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ﴾
उन्होंने कहाः क्या जब हम मर जायेंगे और मिट्टी तथा हड्डियाँ हो जायेंगे, तो क्या हम फिर अवश्य जीवित किये जायेंगे?
﴿لَقَدْ وُعِدْنَا نَحْنُ وَآبَاؤُنَا هَٰذَا مِنْ قَبْلُ إِنْ هَٰذَا إِلَّا أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ﴾
हमें तथा हमारे पूर्वजों को इससे पहले यही वचन दिया जा चुका है, ये तो बस अगलों की कल्पित कथाएँ हैं।
﴿قُلْ لِمَنِ الْأَرْضُ وَمَنْ فِيهَا إِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُونَ﴾
(हे नबी!) उनसे कहोः किसकी है धरती और जो उसमें है, यदि तुम जानते हो?
﴿سَيَقُولُونَ لِلَّهِ ۚ قُلْ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ﴾
वे कहेंगे कि अल्लाह की। आप कहिएः फिर तुम क्यों शिक्षा ग्रहण नहीं करते?
﴿قُلْ مَنْ رَبُّ السَّمَاوَاتِ السَّبْعِ وَرَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ﴾
आप पूछिए कि कौन है सातों आकाशों का स्वामी तथा महा सिंहासन का स्वामी?
﴿سَيَقُولُونَ لِلَّهِ ۚ قُلْ أَفَلَا تَتَّقُونَ﴾
वे कहेंगेः अल्लाह है। आप कहिएः फिर तुम उससे डरते क्यों नहीं हो?
﴿قُلْ مَنْ بِيَدِهِ مَلَكُوتُ كُلِّ شَيْءٍ وَهُوَ يُجِيرُ وَلَا يُجَارُ عَلَيْهِ إِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُونَ﴾
आप उनसे कहिए कि किसके हाथ में है, प्रत्येक वस्तु का अधिकार? और वह शरण देता है और उसे कोई शरण नहीं दे सकता, यदि तुम ज्ञान रखते हो?
﴿سَيَقُولُونَ لِلَّهِ ۚ قُلْ فَأَنَّىٰ تُسْحَرُونَ﴾
वे अवश्य कहेंगे कि (ये सब गुण) अल्लाह ही के हैं। आप कहिएः फिर तुमपर कहाँ से जादू[1] हो जाता है?
﴿بَلْ أَتَيْنَاهُمْ بِالْحَقِّ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ﴾
बल्कि हमने उन्हें सत्य पहुँचा दिया है और निश्चय यही मिथ्यावादी हैं।
﴿مَا اتَّخَذَ اللَّهُ مِنْ وَلَدٍ وَمَا كَانَ مَعَهُ مِنْ إِلَٰهٍ ۚ إِذًا لَذَهَبَ كُلُّ إِلَٰهٍ بِمَا خَلَقَ وَلَعَلَا بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ ۚ سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ﴾
अल्लाह ने नहीं बनाया है अपनी कोई संतान और न उसके साथ कोई अन्य पूज्य है। यदि ऐसा होता, तो प्रत्येक पूज्य अलग हो जाता अपनी उत्पत्ति को लेकर और एक-दूसरे पर चढ़ दौड़ता। पवित्र है अल्लाह उन बातों से, जो ये सब लोग बनाते हैं।
﴿عَالِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَتَعَالَىٰ عَمَّا يُشْرِكُونَ﴾
वह परोक्ष (छुपे) तथा प्रत्यक्ष (खुले) का ज्ञानी है तथा उच्च है, उस शिर्क से, जो वे करते हैं।
﴿قُلْ رَبِّ إِمَّا تُرِيَنِّي مَا يُوعَدُونَ﴾
(हे नबी!) आप प्रार्थना करें कि हे मेरे पालनहार! यदि तू मुझे वह दिखाये, जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है।
﴿رَبِّ فَلَا تَجْعَلْنِي فِي الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ﴾
तो मेरे पालनहार! मुझे इन अत्याचारियों में सम्मिलित न करना।
﴿وَإِنَّا عَلَىٰ أَنْ نُرِيَكَ مَا نَعِدُهُمْ لَقَادِرُونَ﴾
तथा वास्तव में, हम आपको उसे दिखाने पर, जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है, अवश्य सामर्थ्यवान हैं।
﴿ادْفَعْ بِالَّتِي هِيَ أَحْسَنُ السَّيِّئَةَ ۚ نَحْنُ أَعْلَمُ بِمَا يَصِفُونَ﴾
(हे नबी!) आप दूर करें उस (व्यवहार) से जो उत्तम हो, बुराई को। हम भली-भाँति अवगत हैं, उन बातों से जो वे बनाते हैं।
﴿وَقُلْ رَبِّ أَعُوذُ بِكَ مِنْ هَمَزَاتِ الشَّيَاطِينِ﴾
तथा आप प्रार्थना करें कि हे मेरे पालनहार! मैं तेरी शरण माँगता हूँ, शैतानों की शंकाओं से।
﴿وَأَعُوذُ بِكَ رَبِّ أَنْ يَحْضُرُونِ﴾
तथा मैं तेरी शरण माँगता हूँ, मेरे पालनहार! कि वे मेरे पास आयें।
﴿حَتَّىٰ إِذَا جَاءَ أَحَدَهُمُ الْمَوْتُ قَالَ رَبِّ ارْجِعُونِ﴾
यहाँतक कि जब उनमें किसी की मौत आने लगे, तो कहता हैः मेरे पालनहार! मुझे (संसार में) वापस कर दे[1]।
﴿لَعَلِّي أَعْمَلُ صَالِحًا فِيمَا تَرَكْتُ ۚ كَلَّا ۚ إِنَّهَا كَلِمَةٌ هُوَ قَائِلُهَا ۖ وَمِنْ وَرَائِهِمْ بَرْزَخٌ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ﴾
संभवतः, मैं अच्छा कर्म करूँगा, उस (संसार में) जिसे छोड़ आया हूँ! कदापि ऐसा नहीं होगा! वह केवल एक कथन है, जिसे वह कह रहा[1] है और उनके पीछे एक आड़[2] है, उनके पुनः जीवित किये जाने के दिन तक।
﴿فَإِذَا نُفِخَ فِي الصُّورِ فَلَا أَنْسَابَ بَيْنَهُمْ يَوْمَئِذٍ وَلَا يَتَسَاءَلُونَ﴾
तो जब नरसिंघा में फूँक दिया जायेगा, तो कोई संबन्ध नहीं होगा, उनके बीच, उस[1] दिन और न वे एक-दूसरे को पूछेंगे।
﴿فَمَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِينُهُ فَأُولَٰئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ﴾
फिर जिसके पलड़े भारी होंगे, वही सफल होने वाले हैं।
﴿وَمَنْ خَفَّتْ مَوَازِينُهُ فَأُولَٰئِكَ الَّذِينَ خَسِرُوا أَنْفُسَهُمْ فِي جَهَنَّمَ خَالِدُونَ﴾
और जिसके पलड़े हल्क होंगे, तो उन्होंने ही स्वयं को क्षतिग्रस्त कर लिया, (तथा वे) नरक में सदावासी होंगे।
﴿تَلْفَحُ وُجُوهَهُمُ النَّارُ وَهُمْ فِيهَا كَالِحُونَ﴾
झुलसा देगी उनके चेहरों को अग्नि तथा उसमें उनके जबड़े (झुलसकर) बाहर निकले होंगे।
﴿أَلَمْ تَكُنْ آيَاتِي تُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ فَكُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُونَ﴾
(उनसे कहा जायेगाः) क्या जब मेरी आयतें तुम्हें सुनाई जाती थीं, तो तुम उनको झुठलाते नहीं थे?
﴿قَالُوا رَبَّنَا غَلَبَتْ عَلَيْنَا شِقْوَتُنَا وَكُنَّا قَوْمًا ضَالِّينَ﴾
वे कहेंगेःहमारे पालनहार! हमरा दुर्भाग्य हमपर छा गया[1] और वास्तव में, हम कुपथ थे।
﴿رَبَّنَا أَخْرِجْنَا مِنْهَا فَإِنْ عُدْنَا فَإِنَّا ظَالِمُونَ﴾
हमारे पालनहार! हमें इससे निकाल दे, यदि अब हम ऐसा करें, तो निश्चय हम अत्याचारी होंगे।
﴿قَالَ اخْسَئُوا فِيهَا وَلَا تُكَلِّمُونِ﴾
वह (अल्लाह) कहेगाः इसीमें अपमानित होकर पड़े रहो और मुझसे बात न करो।
﴿إِنَّهُ كَانَ فَرِيقٌ مِنْ عِبَادِي يَقُولُونَ رَبَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا وَأَنْتَ خَيْرُ الرَّاحِمِينَ﴾
मेरे भक्तों में एक समुदाय था, जो कहता था कि हमारे पालनहार! हम ईमान लाये। तू हमें क्षमा कर दे और हमपर दया कर और तू सब दयावानों से उत्तम है।
﴿فَاتَّخَذْتُمُوهُمْ سِخْرِيًّا حَتَّىٰ أَنْسَوْكُمْ ذِكْرِي وَكُنْتُمْ مِنْهُمْ تَضْحَكُونَ﴾
तो तुमने उनका उपहास किया, यहाँ तक कि उन्होंने तुम्हें मेरी याद भुला दी और तुम उनपर हँसते रहे।
﴿إِنِّي جَزَيْتُهُمُ الْيَوْمَ بِمَا صَبَرُوا أَنَّهُمْ هُمُ الْفَائِزُونَ﴾
मैंने उन्हें आज बदला (प्रतिफल) दे दिया है उनके धैर्य का, वास्तव में, वही सफल हैं।
﴿قَالَ كَمْ لَبِثْتُمْ فِي الْأَرْضِ عَدَدَ سِنِينَ﴾
(अल्लाह) उनसे कहेगाः तुम धरती में कितने वर्ष रहे?
﴿قَالُوا لَبِثْنَا يَوْمًا أَوْ بَعْضَ يَوْمٍ فَاسْأَلِ الْعَادِّينَ﴾
वे कहेंगेः हम एक दिन या दिन के कुछ भाग रहे। तो गणना करने वालों से पूछ लें।
﴿قَالَ إِنْ لَبِثْتُمْ إِلَّا قَلِيلًا ۖ لَوْ أَنَّكُمْ كُنْتُمْ تَعْلَمُونَ﴾
वह कहेगाः तुम नहीं रहे, परन्तु बहुत कम। क्या ही अच्छा होता कि तुमने (पहले ही) जान लिया[1] होता।
﴿أَفَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَاكُمْ عَبَثًا وَأَنَّكُمْ إِلَيْنَا لَا تُرْجَعُونَ﴾
क्या तुमने समझ रखा है कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और तुम हमारी ओर फिर नहीं लाये[1] जाओगे?
﴿فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ﴾
तो सर्वोच्च है अल्लाह वास्तविक अधिपति। नहीं है कोई सच्चा पूज्य, परन्तु वही महिमावान अर्श (सिंहासन) का स्वामी।
﴿وَمَنْ يَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَٰهًا آخَرَ لَا بُرْهَانَ لَهُ بِهِ فَإِنَّمَا حِسَابُهُ عِنْدَ رَبِّهِ ۚ إِنَّهُ لَا يُفْلِحُ الْكَافِرُونَ﴾
और जो (भी) पुकारेगा अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को, जिसके लिए उसके पास कोई प्रमाण नहीं, तो उसका ह़िसाब केवल उसके पालनहार के पास है, वास्तव में, काफ़िर सफव नहीं[1] होंगे।
﴿وَقُلْ رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ وَأَنْتَ خَيْرُ الرَّاحِمِينَ﴾
तथा आप प्रार्थना करें कि मेरे पालनहार! तू क्षमा कर तथा दया कर और तू ही सब दयावानों से उत्तम (दयावान्) है।
الترجمات والتفاسير لهذه السورة:
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