الترجمة الهندية
ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ حم﴾
ह़ा मीम।
﴿وَالْكِتَابِ الْمُبِينِ﴾
शपथ है प्रत्यक्ष (खुली) पुस्तक की।
﴿إِنَّا جَعَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ﴾
इसे हमने बनाया है अरबी क़ुर्आन, ताकि वे इसे समझ सकें।
﴿وَإِنَّهُ فِي أُمِّ الْكِتَابِ لَدَيْنَا لَعَلِيٌّ حَكِيمٌ﴾
तथा वह मूल पुस्तक[1] में है, हमारे पास, बड़ा उच्च तथा ज्ञान से परिपूर्ण है।
﴿أَفَنَضْرِبُ عَنْكُمُ الذِّكْرَ صَفْحًا أَنْ كُنْتُمْ قَوْمًا مُسْرِفِينَ﴾
तो क्या हम फेर दें, इस शिक्षा को, तुमसे, इसलिए कि तुम उल्लंघनकारी लोग हो?
﴿وَكَمْ أَرْسَلْنَا مِنْ نَبِيٍّ فِي الْأَوَّلِينَ﴾
तथा हमने भेजे हैं बहुत-से नबी (गुज़री हुयी) जातियों में।
﴿وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ نَبِيٍّ إِلَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ﴾
और नहीं आता रहा उनके पास कोई नबी, परन्तु वे उसके साथ उपहास करते रहे।
﴿فَأَهْلَكْنَا أَشَدَّ مِنْهُمْ بَطْشًا وَمَضَىٰ مَثَلُ الْأَوَّلِينَ﴾
तो हमने विनाश कर दिया इनसे[1] अधिक शक्तिवानों का तथा ग़ुज़र चुका है अगलों का उदाहरण।
﴿وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ لَيَقُولُنَّ خَلَقَهُنَّ الْعَزِيزُ الْعَلِيمُ﴾
और यदि आप प्रश्न करें उनसे कि किसने पैदा किया है आकाशों तथा धरती को? तो अवश्य कहेंगेः उन्हें पैदा किया है बड़े प्रभावशाली, सब कुछ जानने वाले ने।
﴿الَّذِي جَعَلَ لَكُمُ الْأَرْضَ مَهْدًا وَجَعَلَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًا لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ﴾
जिसने बनाया तुमहारे लिए धरती को पालना और बनाये उसमें तुम्हारे लिए मार्ग, ताकि तुम मार्ग पा सको।[1]
﴿وَالَّذِي نَزَّلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً بِقَدَرٍ فَأَنْشَرْنَا بِهِ بَلْدَةً مَيْتًا ۚ كَذَٰلِكَ تُخْرَجُونَ﴾
तथा जिसने उतारा आकाश से जल, एक विशेष मात्रा में। फिर जीवित कर दिया उसके दवारा मुर्दा भूमि को। इसी प्रकार, तुम (धरती से) निकाले जाओगे।
﴿وَالَّذِي خَلَقَ الْأَزْوَاجَ كُلَّهَا وَجَعَلَ لَكُمْ مِنَ الْفُلْكِ وَالْأَنْعَامِ مَا تَرْكَبُونَ﴾
तथा जिसने पैदा किये सब प्रकार के जोड़े तथा बनाईं तुम्हारे लिए नौकायें तथा पशु जिनपर तुम सवार होते हो।
﴿لِتَسْتَوُوا عَلَىٰ ظُهُورِهِ ثُمَّ تَذْكُرُوا نِعْمَةَ رَبِّكُمْ إِذَا اسْتَوَيْتُمْ عَلَيْهِ وَتَقُولُوا سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ﴾
ताकि तुम सवार हो उनके ऊपर, फिर याद करो अपने पालनहार के प्रदान को, जब सवार हो जाओ उसपर और ये[1] कहोः पवित्र है वह, जिसने वश में कर दिया हमारे लिए इसे। अन्यथा हम इसे वश में नहीं कर सकते थे।
﴿وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُونَ﴾
तथा हम अवश्य ही अपने पालनहार ही की ओर फिरकर जाने वाले हैं।
﴿وَجَعَلُوا لَهُ مِنْ عِبَادِهِ جُزْءًا ۚ إِنَّ الْإِنْسَانَ لَكَفُورٌ مُبِينٌ﴾
और बना लिया उन्होंने[1] उसके भक्तों में से कुछ को उसका अंश। वास्तव में, मनुष्य खुला कृतघ्न है।
﴿أَمِ اتَّخَذَ مِمَّا يَخْلُقُ بَنَاتٍ وَأَصْفَاكُمْ بِالْبَنِينَ﴾
क्या अल्लाह ने उसमें से, जो पैदा करता है, पुत्रियाँ बना ली हैं तथा तुम्हें विशेष कर दिया है पुत्रों के साथ?
﴿وَإِذَا بُشِّرَ أَحَدُهُمْ بِمَا ضَرَبَ لِلرَّحْمَٰنِ مَثَلًا ظَلَّ وَجْهُهُ مُسْوَدًّا وَهُوَ كَظِيمٌ﴾
जबकि उनमें से किसी को शुभ सूचना दी जाये उस (के जन्म लेने) की, जिसका उसने उदाहरण दिया है अत्यंत कृपाशील के लिए, तो उसका मुख काला[1] हो जाता है और शोक से भर जाता है।
﴿أَوَمَنْ يُنَشَّأُ فِي الْحِلْيَةِ وَهُوَ فِي الْخِصَامِ غَيْرُ مُبِينٍ﴾
क्या (अल्लाह के लिए) वह है, जिसका पालनपोषण आभूषण में किया जाता है तथा वह विवाद में खुलकर बात नहीं कर सकती?
﴿وَجَعَلُوا الْمَلَائِكَةَ الَّذِينَ هُمْ عِبَادُ الرَّحْمَٰنِ إِنَاثًا ۚ أَشَهِدُوا خَلْقَهُمْ ۚ سَتُكْتَبُ شَهَادَتُهُمْ وَيُسْأَلُونَ﴾
और उन्होंने बना दिया फ़रिश्तों को, जो अत्यंत कृपाशील के भक्त हैं, पुत्रियाँ। क्या वे उपस्थित थे उनकी उत्पत्ति के समय? लिख ली जायेगी उनकी गवाही और उनसे पूछ होगी।
﴿وَقَالُوا لَوْ شَاءَ الرَّحْمَٰنُ مَا عَبَدْنَاهُمْ ۗ مَا لَهُمْ بِذَٰلِكَ مِنْ عِلْمٍ ۖ إِنْ هُمْ إِلَّا يَخْرُصُونَ﴾
तथा उन्होंने कहा कि यदि अत्यंत कृपाशील चाहता, तो हम उनकी इबादत नहीं करते। उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं। वह केवल तीर-तुक्के चला रहे हैं।
﴿أَمْ آتَيْنَاهُمْ كِتَابًا مِنْ قَبْلِهِ فَهُمْ بِهِ مُسْتَمْسِكُونَ﴾
क्या हमने उन्हें प्रदान की है कोई पुस्तक इससे पहले, जिसे वे दृढ़ता से पकड़े हुए हैं?[1]
﴿بَلْ قَالُوا إِنَّا وَجَدْنَا آبَاءَنَا عَلَىٰ أُمَّةٍ وَإِنَّا عَلَىٰ آثَارِهِمْ مُهْتَدُونَ﴾
बल्कि, ये कहते हैं कि हमने पाया है अपने पूर्वजों को एक रीति पर और हम उन्हीं के पद्चिन्हों पर चल रहे हैं।
﴿وَكَذَٰلِكَ مَا أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ فِي قَرْيَةٍ مِنْ نَذِيرٍ إِلَّا قَالَ مُتْرَفُوهَا إِنَّا وَجَدْنَا آبَاءَنَا عَلَىٰ أُمَّةٍ وَإِنَّا عَلَىٰ آثَارِهِمْ مُقْتَدُونَ﴾
तथा (हे नबी!) इसी प्रकार, हमने नहीं भेजी आपसे पूर्व किसी बस्ती में कोई सावधान करने वाला, परन्तु कहा उसके सुखी लोगों नेः हमने पाया है अपने पूर्वजों को एक रीति पर और हम निश्चय उन्हीं के पद्चिन्हों पर चल रहे हैं।[1]
﴿۞ قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكُمْ بِأَهْدَىٰ مِمَّا وَجَدْتُمْ عَلَيْهِ آبَاءَكُمْ ۖ قَالُوا إِنَّا بِمَا أُرْسِلْتُمْ بِهِ كَافِرُونَ﴾
नबी ने कहाः क्या (तुम उन्हीं का अनुगमन करोगे) यद्पि मैं लाया हूँ तुम्हारे पास उससे अधिक सीधा मार्ग, जिसपर तुमने पाया है अपने पूर्वजों को? तो उन्होंने कहाः हम, जिस (धर्म) के साथ तुम भेजे गये हो, उसे मानने वाले नहीं है।
﴿فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ ۖ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِينَ﴾
अन्ततः, हमने बदला चुका लिया उनसे। तो देखो कि कैसा रहा झुठलाने वालों का दुष्परिणाम।
﴿وَإِذْ قَالَ إِبْرَاهِيمُ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ إِنَّنِي بَرَاءٌ مِمَّا تَعْبُدُونَ﴾
तथा याद करो, जब कहा इब्राहीम ने अपने पिता तथा अपनी जाति सेः निश्चय मैं विरक्त हूँ उससे, जिसकी वंदना तुम करते हो।
﴿إِلَّا الَّذِي فَطَرَنِي فَإِنَّهُ سَيَهْدِينِ﴾
उसके अतिरिक्त, जिसने मुझे पैदा किया है। वही मुझे राह दिखायेगा।
﴿وَجَعَلَهَا كَلِمَةً بَاقِيَةً فِي عَقِبِهِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ﴾
तथा छोड़ गया वह इस बात (एकेश्वरवाद) को[1] अपनी संतान में, ताकि वे शिर्क से बचते रहें।
﴿بَلْ مَتَّعْتُ هَٰؤُلَاءِ وَآبَاءَهُمْ حَتَّىٰ جَاءَهُمُ الْحَقُّ وَرَسُولٌ مُبِينٌ﴾
बल्कि, मैंने इन्हें तथा इनके बाप-दादा को जीवन का सामान दिया। यहाँ तक कि आ गया उनके पास सत्य (क़ुर्आन) और एक खुला रसूल।[1]
﴿وَلَمَّا جَاءَهُمُ الْحَقُّ قَالُوا هَٰذَا سِحْرٌ وَإِنَّا بِهِ كَافِرُونَ﴾
तथा जब आ गया उनके पास सत्य, तो उन्होंने कह दिया कि ये जादू है तथा हम, इसे मानने वाले नहीं हैं।
﴿وَقَالُوا لَوْلَا نُزِّلَ هَٰذَا الْقُرْآنُ عَلَىٰ رَجُلٍ مِنَ الْقَرْيَتَيْنِ عَظِيمٍ﴾
तथा उन्होंने कहा कि क्यों नहीं उतारा[1] गया ये क़ुर्आन, दो बस्तियों में से किसी बड़े व्यक्ति पर?
﴿أَهُمْ يَقْسِمُونَ رَحْمَتَ رَبِّكَ ۚ نَحْنُ قَسَمْنَا بَيْنَهُمْ مَعِيشَتَهُمْ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۚ وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجَاتٍ لِيَتَّخِذَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا سُخْرِيًّا ۗ وَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَيْرٌ مِمَّا يَجْمَعُونَ﴾
कया वही बाँटते[1] हैं आपके पालनहार की दया? हमने बाँटी है, उनके बीच, उनकी जीविका सांसारिक जीवन में तथा हमने उच्च किया है, उनमें से एक को दूसरे पर, कई श्रेणियाँ। ताकि एक-दूसरे से सेवा कार्य लें तथा आपके पालनहार की दया[1] उससे उत्तम है, जिसे वे इकट्ठा कर रहे हैं।
﴿وَلَوْلَا أَنْ يَكُونَ النَّاسُ أُمَّةً وَاحِدَةً لَجَعَلْنَا لِمَنْ يَكْفُرُ بِالرَّحْمَٰنِ لِبُيُوتِهِمْ سُقُفًا مِنْ فِضَّةٍ وَمَعَارِجَ عَلَيْهَا يَظْهَرُونَ﴾
और यदि ये बात न होती कि सभी लोग एक ही नीति पर हो जाते, तो हम अवश्य बना देते उनके लिए, जो कुफ्र करते हैं अत्यंत कृपाशील के साथ, उनके घरों की छतें चाँदी की तथा सीढ़ियाँ जिनपर वे चढ़ते हैं।
﴿وَلِبُيُوتِهِمْ أَبْوَابًا وَسُرُرًا عَلَيْهَا يَتَّكِئُونَ﴾
तथा उनके घरों के द्वार और तख़्त जिनपर वे तकिये लगाये[1] रहते हैं।
﴿وَزُخْرُفًا ۚ وَإِنْ كُلُّ ذَٰلِكَ لَمَّا مَتَاعُ الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۚ وَالْآخِرَةُ عِنْدَ رَبِّكَ لِلْمُتَّقِينَ﴾
तथा बना देते शोभा। नहीं हैं ये सब कुछ, परन्तु सांसारिक जीवन के सामान तथा आख़िरत[1] (परलोक) आपके पालनहार के यहाँ केवल आज्ञाकारियों के लिए है।
﴿وَمَنْ يَعْشُ عَنْ ذِكْرِ الرَّحْمَٰنِ نُقَيِّضْ لَهُ شَيْطَانًا فَهُوَ لَهُ قَرِينٌ﴾
और जो व्यक्ति अत्यंत कृपाशील (अल्लाह) के स्मरण से अंधा हो जाता है, तो हम उसपर एक शैतान नियुक्त कर देते हैं, जो उसका साथी हो जाता है।
﴿وَإِنَّهُمْ لَيَصُدُّونَهُمْ عَنِ السَّبِيلِ وَيَحْسَبُونَ أَنَّهُمْ مُهْتَدُونَ﴾
और वे (शैतान) उन्हें रोकते हैं सीधी राह से तथा वे समझते हैं कि वे सीधी राह पर हैं।
﴿حَتَّىٰ إِذَا جَاءَنَا قَالَ يَا لَيْتَ بَيْنِي وَبَيْنَكَ بُعْدَ الْمَشْرِقَيْنِ فَبِئْسَ الْقَرِينُ﴾
यहाँ तक कि जब वह हमारे पास आयेगा, तो ये कामना करेगा कि मेरे तथा तेरे (शैतान के) बीच पश्चिम तथा पूर्व की दूरी होती। तू बुरा साथी है।
﴿وَلَنْ يَنْفَعَكُمُ الْيَوْمَ إِذْ ظَلَمْتُمْ أَنَّكُمْ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ﴾
(उनसे कहा जायेगाः) और तुम्हें कदापि कोई लाभ नहीं होगा आज, जबकि तुमने अत्याचार कर लिया है। वास्तव में, तुम सब यातना में साझी रहोगे।
﴿أَفَأَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ أَوْ تَهْدِي الْعُمْيَ وَمَنْ كَانَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ﴾
तो (हे नबी!) क्या आप सुना लेंगे बहरों को या सीधी राह दिखा देंगे अंधों को तथा उन्हें, जो खुले कुपथ[1] में हों?
﴿فَإِمَّا نَذْهَبَنَّ بِكَ فَإِنَّا مِنْهُمْ مُنْتَقِمُونَ﴾
फिर यदि हम आपको (संसार से) ले जायें, तो भी हम उनसे बदला लेने वाले हैं।
﴿أَوْ نُرِيَنَّكَ الَّذِي وَعَدْنَاهُمْ فَإِنَّا عَلَيْهِمْ مُقْتَدِرُونَ﴾
अथवा आपको दिखा दें, जिस (यातना) का हमने उनको वचन दिया है, तो निश्चय हम उनपर सामर्थ्य रखने वाले हैं।
﴿فَاسْتَمْسِكْ بِالَّذِي أُوحِيَ إِلَيْكَ ۖ إِنَّكَ عَلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ﴾
तो (हे नबी!) आप दृढ़ता से पकड़े रहें उसे, जो हम आपकी ओर वह़्यी कर रहे हैं। वास्तव में, आप सीधी राह पर हैं।
﴿وَإِنَّهُ لَذِكْرٌ لَكَ وَلِقَوْمِكَ ۖ وَسَوْفَ تُسْأَلُونَ﴾
निश्चय ये क़ुर्आन, आपके लिए तथा आपकी जाति के लिए एक शिक्षा[1] है और जल्द ही तुमसे प्रश्न[2] किया जायेगा।
﴿وَاسْأَلْ مَنْ أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رُسُلِنَا أَجَعَلْنَا مِنْ دُونِ الرَّحْمَٰنِ آلِهَةً يُعْبَدُونَ﴾
तथा हे नबी! आप पूछ लें उनसे जिन्हें हमने भेजा है, आपसे पहले, अपने रसूलों में से कि क्या हमने बनाये हैं अत्यंत कृपाशील के अतिरिक्त वंदनीय, जिनकी वंदना की जाये?
﴿وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مُوسَىٰ بِآيَاتِنَا إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ فَقَالَ إِنِّي رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾
तथा हमने भेजा मूसा को अपनी निशानियों के साथ फ़िरऔन और उसके प्रमुखों की ओर। तो उसने कहाः वास्तव में, मैं सर्वलोक के पालनहार का रसूल हूँ।
﴿فَلَمَّا جَاءَهُمْ بِآيَاتِنَا إِذَا هُمْ مِنْهَا يَضْحَكُونَ﴾
और जब वह उनके पास लाया हमारी निशानियाँ, तो सहसा वे उनकी हँसी उड़ाने लगे।
﴿وَمَا نُرِيهِمْ مِنْ آيَةٍ إِلَّا هِيَ أَكْبَرُ مِنْ أُخْتِهَا ۖ وَأَخَذْنَاهُمْ بِالْعَذَابِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ﴾
तथा हम उन्हें एक से बढ़ कर एक निशानी दिखाते रहे और हमने पकड़ लिया उन्हें यातना में, ताकि वे (ठट्ठा) से रुक जायें।
﴿وَقَالُوا يَا أَيُّهَ السَّاحِرُ ادْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِنْدَكَ إِنَّنَا لَمُهْتَدُونَ﴾
और उन्होंने कहाः हे जादूगर! प्रार्थना कर हमारे लिए अपने पालनहार से, उस वचन के आधार पर, जो तुझसे किया है। वास्तव में, हम सीधी राह पर आ जायेंगे।
﴿فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الْعَذَابَ إِذَا هُمْ يَنْكُثُونَ﴾
तो जैसे ही हमने दूर की उनसे यातना, तो वे सहसा वचन तोड़ने लगे।
﴿وَنَادَىٰ فِرْعَوْنُ فِي قَوْمِهِ قَالَ يَا قَوْمِ أَلَيْسَ لِي مُلْكُ مِصْرَ وَهَٰذِهِ الْأَنْهَارُ تَجْرِي مِنْ تَحْتِي ۖ أَفَلَا تُبْصِرُونَ﴾
तथा पुकारा फ़िरऔन ने अपनी जाति में। उसने कहाः हे मेरी जाति! क्या नहीं है मेरे लिए मिस्र का राज्य तथा ये नहरें, जो बह रही हैं मेरे नीचे से? तो क्या तुम देख नहीं रहे हो?
﴿أَمْ أَنَا خَيْرٌ مِنْ هَٰذَا الَّذِي هُوَ مَهِينٌ وَلَا يَكَادُ يُبِينُ﴾
मैं अच्छा हूँ या वह जो अपमानित (हीन) है और खुलकर बोल भी नहीं सकता?
﴿فَلَوْلَا أُلْقِيَ عَلَيْهِ أَسْوِرَةٌ مِنْ ذَهَبٍ أَوْ جَاءَ مَعَهُ الْمَلَائِكَةُ مُقْتَرِنِينَ﴾
क्यों नहीं उतारे गये उसपर सोने के कंगन अथवा आये फ़रिश्ते उसके साथ पंक्ति बाँधे हुए?[1]
﴿فَاسْتَخَفَّ قَوْمَهُ فَأَطَاعُوهُ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمًا فَاسِقِينَ﴾
तो उसने झाँसा दे दिया अपनी जाति को और सबने उसकी बात मान ली। वास्तव में, वे थे ही अवज्ञाकारी लोग।
﴿فَلَمَّا آسَفُونَا انْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَأَغْرَقْنَاهُمْ أَجْمَعِينَ﴾
फिर जब उन्होंने हमें क्रोधित कर दिया, तो हमने उनसे बदला ले लिया और सबको डुबो दिया।
﴿فَجَعَلْنَاهُمْ سَلَفًا وَمَثَلًا لِلْآخِرِينَ﴾
और बना दिया हमने उनको गया-गुज़रा और एक उदाहरण, पश्चात् के लोगों के लिए।
﴿۞ وَلَمَّا ضُرِبَ ابْنُ مَرْيَمَ مَثَلًا إِذَا قَوْمُكَ مِنْهُ يَصِدُّونَ﴾
तथा जब दिया गया मर्यम के पुत्र का[1] उदाहरण, तो सहसा आपकी जाति उससे प्रसन्न होकर शोर मचाने लगी।
﴿وَقَالُوا أَآلِهَتُنَا خَيْرٌ أَمْ هُوَ ۚ مَا ضَرَبُوهُ لَكَ إِلَّا جَدَلًا ۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌ خَصِمُونَ﴾
तथा मुश्रिकों ने कहा कि हमारे देवता अच्छे हैं या वे? उन्होंने नहीं दिया ये (उदाहरण) आपको, परन्तु कुतर्क (झगड़ने) के लिए। बल्कि, वे हैं ही बड़े झगड़ालू लोग।
﴿إِنْ هُوَ إِلَّا عَبْدٌ أَنْعَمْنَا عَلَيْهِ وَجَعَلْنَاهُ مَثَلًا لِبَنِي إِسْرَائِيلَ﴾
नहीं है वह[1] (ईसा), परन्तु एक भक्त (दास) जिसपर हमने उपकार किया तथा उसे इस्राईल की संतान के लिए एक आदर्श बनाया।
﴿وَلَوْ نَشَاءُ لَجَعَلْنَا مِنْكُمْ مَلَائِكَةً فِي الْأَرْضِ يَخْلُفُونَ﴾
और यदि हम चाहते, तो बना देते तुम्हारे बदले फ़रिश्ते धरती में, जो एक-दूसरे का स्थान लेते।
﴿وَإِنَّهُ لَعِلْمٌ لِلسَّاعَةِ فَلَا تَمْتَرُنَّ بِهَا وَاتَّبِعُونِ ۚ هَٰذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ﴾
तथा वास्तव में, वह (ईसा) एक बड़ा लक्षण[1] हैं प्रलय का। अतः, कदापि संदेह न करो प्रलय के विषय में और मेरी ही बात मानो। यही सीधी राह है।
﴿وَلَا يَصُدَّنَّكُمُ الشَّيْطَانُ ۖ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ﴾
तथा तुम्हें कदापि न रोक दे शैतान। निश्चय वह तुम्हारा खुला शत्रु है।
﴿وَلَمَّا جَاءَ عِيسَىٰ بِالْبَيِّنَاتِ قَالَ قَدْ جِئْتُكُمْ بِالْحِكْمَةِ وَلِأُبَيِّنَ لَكُمْ بَعْضَ الَّذِي تَخْتَلِفُونَ فِيهِ ۖ فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾
और जब आ गया ईसा खुली निशानियाँ लेकर, तो कहाः मैं लाया हूँ तुम्हारे पास ज्ञान और ताकि उजागर कर दूँ तुम्हारे लिए वह कुछ बातें, जिनमें तुम विभेद कर रहे हो। अतः, अल्लाह से डरो और मेरा ही कहा मानो।
﴿إِنَّ اللَّهَ هُوَ رَبِّي وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ ۚ هَٰذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ﴾
वास्तव में, अल्लाह ही मेरा पालनहार तथा तुम्हारा पालनहार है। अतः, उसी की वंदना (इबादत) करो यही सीधी राह है।
﴿فَاخْتَلَفَ الْأَحْزَابُ مِنْ بَيْنِهِمْ ۖ فَوَيْلٌ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا مِنْ عَذَابِ يَوْمٍ أَلِيمٍ﴾
फिर विभेद कर लिया गिरोहों[1] ने आपस में। तो विनाश है उनके लिए जिन्होंने अत्याचार किया, दुःखदायी दिन की यातना से।
﴿هَلْ يَنْظُرُونَ إِلَّا السَّاعَةَ أَنْ تَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ﴾
क्या वे बस इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि प्रलय उनपर सहसा आ पड़े और उन्हें (उसका) संवेदन (भी) न हो?
﴿الْأَخِلَّاءُ يَوْمَئِذٍ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ إِلَّا الْمُتَّقِينَ﴾
सभी मित्र उस दिन एक-दूसरे के शत्रु हो जायेंगे, आज्ञाकारियों के सिवा।
﴿يَا عِبَادِ لَا خَوْفٌ عَلَيْكُمُ الْيَوْمَ وَلَا أَنْتُمْ تَحْزَنُونَ﴾
हे मेरे भक्तो! कोई भय नहीं है तुमपर आज और न तुम उदासीन होगे।
﴿الَّذِينَ آمَنُوا بِآيَاتِنَا وَكَانُوا مُسْلِمِينَ﴾
जो ईमान लाये हमारी आयतों पर तथा आज्ञाकारी बनकर रहे।
﴿ادْخُلُوا الْجَنَّةَ أَنْتُمْ وَأَزْوَاجُكُمْ تُحْبَرُونَ﴾
प्रवेश कर जाओ स्वर्ग में, तुम तथा तुम्हारी पत्नियाँ। तुम्हें प्रसन्न रखा जायेगा।
﴿يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِصِحَافٍ مِنْ ذَهَبٍ وَأَكْوَابٍ ۖ وَفِيهَا مَا تَشْتَهِيهِ الْأَنْفُسُ وَتَلَذُّ الْأَعْيُنُ ۖ وَأَنْتُمْ فِيهَا خَالِدُونَ﴾
फिरायी जायेंगी उनपर सोने की थालें तथा प्याले और उसमें वह सब कुछ होगा, जिसे उनका मन चाहेगा और जिसे उनकी आँखें देखकर आनन्द लेंगी और तुमसब उसमें सदैव रहोगे।
﴿وَتِلْكَ الْجَنَّةُ الَّتِي أُورِثْتُمُوهَا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ﴾
और ये स्वर्ग है, जिसके तुम उत्तराधिकारी बनाये गये हो, अपने कर्मों के बदले, जो तुम कर रहे थे।
﴿لَكُمْ فِيهَا فَاكِهَةٌ كَثِيرَةٌ مِنْهَا تَأْكُلُونَ﴾
तुम्हारे लिए इसमें बहुत-से मेवे हैं जिनमें से तुम खाते रहोगे।
﴿إِنَّ الْمُجْرِمِينَ فِي عَذَابِ جَهَنَّمَ خَالِدُونَ﴾
निःसंदेह अपराधी नरक की यातना में सदावासी होंगे।
﴿لَا يُفَتَّرُ عَنْهُمْ وَهُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ﴾
उनसे (यातना) हल्की नहीं की जायेगी तथा वे उसमें निराश होंगे।
﴿وَمَا ظَلَمْنَاهُمْ وَلَٰكِنْ كَانُوا هُمُ الظَّالِمِينَ﴾
और हमने अत्याचार नहीं किया उनपर, परन्तु वही अत्याचारी थे।
﴿وَنَادَوْا يَا مَالِكُ لِيَقْضِ عَلَيْنَا رَبُّكَ ۖ قَالَ إِنَّكُمْ مَاكِثُونَ﴾
तथा वे पुकारेंगे कि हे मालिक![1] हमारा काम ही तमाम कर दे तेरा परालनहार। वह कहेगाः तुम्हें इसी दशा में रहना है।
﴿لَقَدْ جِئْنَاكُمْ بِالْحَقِّ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَكُمْ لِلْحَقِّ كَارِهُونَ﴾
(अल्लाह कहेगाः) हम तुम्हारे पास सत्य[1] लाये, किन्तु तुममें से अधिक्तर को सत्य अप्रिय था।
﴿أَمْ أَبْرَمُوا أَمْرًا فَإِنَّا مُبْرِمُونَ﴾
क्या उन्होंने किसी बात का निर्णय कर लिया है?[1] तो हम भी निर्णय कर देंगे।[2]
﴿أَمْ يَحْسَبُونَ أَنَّا لَا نَسْمَعُ سِرَّهُمْ وَنَجْوَاهُمْ ۚ بَلَىٰ وَرُسُلُنَا لَدَيْهِمْ يَكْتُبُونَ﴾
क्या वे समझते हैं कि हम नहीं सुनते हैं उनकी गुप्त बातों तथा प्रामर्श को? क्यों नहीं, बल्कि हमारे फ़रिश्ते उनके पास ही लिख रहे हैं।
﴿قُلْ إِنْ كَانَ لِلرَّحْمَٰنِ وَلَدٌ فَأَنَا أَوَّلُ الْعَابِدِينَ﴾
(हे नबी!) आप उनसे कह दें कि यदि अत्यंत कृपाशील (अल्लाह) की कोई संतान होती, तो सबसे पहले मैं उसका पुजारी होता।
﴿سُبْحَانَ رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا يَصِفُونَ﴾
पवित्र है आकाशों तथा धरती का पालनहार, सिंहासन का स्वामी उन बातों से, जो वे कहते हैं!
﴿فَذَرْهُمْ يَخُوضُوا وَيَلْعَبُوا حَتَّىٰ يُلَاقُوا يَوْمَهُمُ الَّذِي يُوعَدُونَ﴾
तो आप उन्हें छोड़ दें, वे वाद-विवाद तथा खेल-कूद करते रहें, यहाँ तक कि अपने उस दिन से मिल जायें, जिससे उन्हें डराया जा रहा है।
﴿وَهُوَ الَّذِي فِي السَّمَاءِ إِلَٰهٌ وَفِي الْأَرْضِ إِلَٰهٌ ۚ وَهُوَ الْحَكِيمُ الْعَلِيمُ﴾
वही है, जो आकाश में वंदनीय और धरती में वंदनीय है और वही ह़िक्मत और ज्ञान वाला है।
﴿وَتَبَارَكَ الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَعِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ﴾
शुभ है वह, जिसके अधिकार में आकाशों तथा धरती का राज्य है तथा जो कुछ दोनों के मध्य है तथा उसी के पास प्रलय का ज्ञान है और उसी की ओर तुमसब प्रत्यागत किये जाओगे।
﴿وَلَا يَمْلِكُ الَّذِينَ يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ الشَّفَاعَةَ إِلَّا مَنْ شَهِدَ بِالْحَقِّ وَهُمْ يَعْلَمُونَ﴾
तथा नहीं अधिकार रखते हैं, जिन्हें वे पुकारते हैं अल्लाह के अतिरिक्त, सिफ़ारिश का। हाँ, (सिफ़ारिश के योग्य वे हैं) जो सत्य[1] की गवाही दें और (उसे) जानते भी हों।
﴿وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَهُمْ لَيَقُولُنَّ اللَّهُ ۖ فَأَنَّىٰ يُؤْفَكُونَ﴾
और यदि आप उनसे प्रश्न करें कि किसने पैदा किया है उन्हें? तो वे अवश्य कहेंगे कि अल्लाह ने। तो फिर वे कहाँ फिरे जा रहे हैं?[1]
﴿وَقِيلِهِ يَا رَبِّ إِنَّ هَٰؤُلَاءِ قَوْمٌ لَا يُؤْمِنُونَ﴾
तथा रसूल की ये बात कि, हे मेरे पालनहार! ये वे लोग हैं, जो ईमान नहीं लाते।
﴿فَاصْفَحْ عَنْهُمْ وَقُلْ سَلَامٌ ۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ﴾
तो आप उनसे विमुख हो जायें तथा कह दें कि सलाम[1] है। शीघ्र ही उन्हें ज्ञान हो जायेगा।
الترجمات والتفاسير لهذه السورة:
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