सफर के महीने के अंतिम बुद्धवार की नफ़्ल नमाज़ का हुक्म
فتوى مترجمة إلى اللغة الهندية عبارة عن سؤال أجاب عنه علماء اللجنة الدائمة ونصه : إن بعض العلماء في بلادنا يزعمون أن في دين الإسلام نافلة يصليها يوم الأربعاء آخر من شهر صفر وقت صلاة الضحى أربع ركعات بتسليمة واحدة تقرأ في كل ركعة فاتحة الكتاب وسورة الكوثر سبع عشرة مرة، وسورة الإخلاص خمسين مرة، والمعوذتين مرة مرة تفعل ذلك في كل ركعة وتسلم، وحين تسلم تشرع في قراءة: وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لاَ يَعْلَمُونَ ثلاثمائة وستين مرة، وجوهرة الكمال ثلاث مرات، واختتم بـ "سبحان ربك رب العزة عما يصفون وسلام على المرسلين والحمد لله رب العالمين"، وتصدق بشيء من الخبز إلى الفقراء، وخاصية هذه الآية لدفع البلاء الذي ينزل في الأربعاء الأخير من شهر صفر، وقولهم: إنه ينزل في كل سنة ثلاثمائة وعشرون ألفًا من البليات، وكل ذلك في يوم الأربعاء الأخير من شهر صفر فيكون ذلك اليوم أصعب الأيام في السنة كلها فمن صلى هذه الصلاة بالكيفية المذكورة حفظه الله بكرمه من جميع البلايا التي تنزل في ذلك اليوم ولم يحسم حوله لتكون محوًا يشرب منه من لا يقدر على أداء الكيفية كالصبيان، وهل هذا هو الحل أم لا؟
हमारे देश में कुछ विद्वानों का भ्रम यह है कि इस्लाम धर्म में एक नफल नमाज़ है जो सफर महीने के अंत में बुध के दिन चाश्त के समय एक सलाम के साथ चार रकअत पढ़ी जाती है जिसमें हर रकअत के अंदर सूरतुल फातिहा, सत्तरह बार सूरतुल कौसर, पचास बार सूरतुल इख्लास, एक-एक बार मुअव्वज़तैन (यानी सूरतुल फलक़ और सूरतुन्नास) एक-एक बार पढ़े, इसी तरह हर रकअत में किया जाए और सलाम फेर दिया जाए। सलाम फेरने के बाद तीन सौ साठ बार यह आयत पढ़ें: <br /> ﴿وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لاَ يَعْلَمُونَ﴾<br /> तथा तीन बार जौहरतुल कमाल (तीजानी पद्वति का एक वज़ीफा) पढ़े, तथा अंत में <br /> ﴿سبحان ربك رب العزة عما يصفون وسلام على المرسلين والحمد لله رب العالمين﴾<br /> और गरीबों को कुछ रोटी दान करे। इस आयत की विशेषता उस आपदा को दूर करना है जो सफ़र के महीने के अंतिम बुध को उतरती है। तथा उनका कहना है कि: हर वर्ष तीन लाख बीस हज़ार आपदाएं अवतरित होती हैं और ये सब की सब सफर के महीने की अंतिम बुध को उतरती हैं। इस तरह वह वर्ष का सबसे कठिन दिन होता है। अतः जो व्यक्ति इस नमाज़ को उक्त तरीक़े पर पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे अपनी अनुकम्पा से उन सभी आपदाओं से सुरक्षित रखेगा जो उस दिन में उतरती हैं। तो क्या इसका यही समाधान है या नहीं ?
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المؤلف
اللجنة الدائمة للبحوث العلمية والإفتاء والدعوة والإرشاد